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God of Doom: ‘प्रलय का देवता’ के साथ टकराएगा पृथ्वी? ISRO प्रमुख की चेतावनी – 2029 में आ सकता है विनाश

God of Doom: हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने एक महत्वपूर्ण चेतावनी दी है कि एक बड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बहुत करीब आ सकता है। इस क्षुद्रग्रह का नाम ‘एपोपिस’ रखा गया है, जो कि प्राचीन मिस्र के अराजकता के देवता के नाम पर रखा गया है। यह क्षुद्रग्रह तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है और संभावना जताई जा रही है कि यह 13 अप्रैल 2029 को पृथ्वी से टकरा सकता है।

God of Doom: 'प्रलय का देवता' के साथ टकराएगा पृथ्वी? ISRO प्रमुख की चेतावनी - 2029 में आ सकता है विनाश

डॉ. सोमनाथ की चेतावनी

डॉ. एस. सोमनाथ ने चेतावनी दी कि यदि एपोपिस पृथ्वी से टकराता है तो मानवता के लिए यह एक बड़ी तबाही का कारण बन सकता है। ISRO इस खतरनाक स्थिति से भली-भांति अवगत है और हमारी स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग और एनालिसिस नेटवर्क (NETRA) एपोपिस की बहुत बारीकी से निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल एक ही पृथ्वी है और हम सभी देशों के साथ मिलकर इस और भविष्य के अन्य खतरों को टालने के लिए सहयोग करेंगे।

एपोपिस की खोज

एपोपिस को पहली बार 2004 में खोजा गया था और इसके पृथ्वी के करीब आने की आवृत्ति को बारीकी से ट्रैक किया गया है। अगली बार इसका पृथ्वी के करीब आने का अवसर 2029 में होगा और फिर 2036 में होगा। हालांकि इसके पृथ्वी पर प्रभाव को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं, कुछ अध्ययन यह सुझाव देते हैं कि 2029 में यह पृथ्वी के पास से गुजर जाएगा और टकराएगा नहीं।

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एपोपिस का पृथ्वी के पास आना

एपोपिस ने अब तक पृथ्वी के सबसे करीब आकर एक ऐतिहासिक स्थिति बना दी है। यह 32,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी के निकटतम स्थान पर आया है। इसके आकार के किसी अन्य क्षुद्रग्रह ने पृथ्वी के इतने करीब कभी नहीं आकर स्थितियों को इतना गंभीर बनाया है।

एपोपिस का आकार

एपोपिस का आकार भारत के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य और सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद से भी बड़ा है। इसके अनुमानित व्यास 340 से 450 मीटर के बीच है और किसी भी ग्रहिय शरीर को जो 140 मीटर से अधिक व्यास का होता है, पृथ्वी के पास से गुजरने पर संभावित खतरनाक माना जाता है।

सावधानी और तैयारी

ISRO और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इस क्षुद्रग्रह के प्रभाव को कम करने और भविष्य की संभावित आपात स्थितियों से निपटने के लिए सावधानी बरत रही हैं। वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों का कहना है कि वर्तमान में इस क्षुद्रग्रह के प्रभाव को टालने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

इस तरह की अंतरिक्षीय समस्याओं के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भी आवश्यकता है। विभिन्न देशों के वैज्ञानिक, अंतरिक्ष एजेंसियां और विशेषज्ञ मिलकर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर इस प्रकार के संकटों से निपटने के लिए साझा प्रयास और योजनाओं की आवश्यकता है।

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निष्कर्ष

एपोपिस के पृथ्वी की ओर तेजी से बढ़ने की स्थिति ने अंतरिक्ष और पृथ्वी की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। डॉ. सोमनाथ की चेतावनी और ISRO की निगरानी इस बात का संकेत देती है कि हमें इस खतरे से निपटने के लिए तत्पर रहना होगा। हालांकि एपोपिस के टकराने की संभावना पर अभी भी बहस चल रही है, लेकिन इसके संभावित प्रभाव को लेकर वैज्ञानिक और सुरक्षा एजेंसियां सभी आवश्यक सावधानियां बरत रही हैं। भविष्य में इस तरह के खतरों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयास और तैयारी की जरूरत है।

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